Monday, November 26, 2012


मुझे लिखने का बड़ा ही शौक है किन्तु इतना समय ही नहीं मिलता है की मै भी अपने मन के विचारों को अपने बूग पर उतरना चाहता हू .मैं अपने एक दोस्त से बहुत ही प्रभावित हू वो है उसका नाम है गोपाल मिश्र . मुझे उसके विचारों को व्यक्त करने का तरिका बहुत ही अच्छा लगता है . यदि आप उसके बारे में जानना चाहते हैं तो कृपया www.achhikhabar.com जरुर पढ़े. वो क्या है पता चल जायेगा उसके बारे में. मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी मै एक वेबसाइट बनाऊंगा और उसपर अपने विचारों को लिखूंगा.ताकि लोग मेरे विचारों से अवगत हो सके और उनसे लाभ उठा सके. परन्तु मुझे ऐसा करने में ५ साल लग गए और वहीं पर मेरे दोस्त ने न जाने कितने कोन्त्रेंट को लिख डाला. अब प्रश्न यह उठता है की मै ये सब क्यों कह रहा हूँ? इसका उत्तर यह है की मैं आपको इस बारे बताना चाहता हू कि आप कोई भी काम को कल पर मत टालिए . मन करता है और आपलो लगता है इस काम को करना है तो उसे अभी कर डालिए. जैसा कि कबीर दस जी ने कहा कि "काल करे सो आज कर आज करे सो अब , पल में परलय होवेगी बहुरि करेगा कब" . पहले के लोग काम कि महता को समझते थे. इसी संधर्भ में बहुत लोगो ने अपने विचारों को व्यक्त किया हुआ है. वो काम कि महत्ता के बारे में समझते थे . मैं अपनी मम्मी से रामायण में रावन सम्वाद को कहते हुए सुना है. जब रावन का अंतिम समय आ गया था . तो राम ने लक्ष्मण को उससे उपदेश लेने के लिए भेजा .रावन बहुत ज्ञानी पंडित था और साथ ही एक महान ज्योतिष भी था. उसके द्वारा लिखी गयी रावन सन्हिता से सटीक भविष्यवाणी कि जा सकती है.उसने

हम इंसान भी भी कितने अजीब होते हैं. हम कभी भी अपने से आगे दूसरों को नहीं होने देना चाहते हैं. या कोई दूसरा हमें आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है.अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों लगता है. ऐसा मैंने महसूस किया है मैंने और लोगो के द्वरा दी दिए गए कष्ट याद करता हू. बहुत दुःख होता है मुझे..

Sunday, November 11, 2012

ek kahani


गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही आखिरी उपदेश … थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा से प्रसन्न थे और गुरुकुल की परंपरा के अनुसार शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा , ” आप सभी एक जगह एकत्रित हो जाएं , मुझे आपको आखिरी उपदेश देना है .” गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए सभी शिष्य एक जगह एकत्रित हो गए . गुरु जी ने अपने हाथ में कुछ लकड़ी के खिलौने पकडे हुए थे , उन्होंने शिष्यों को खिलौने दिखाते हुए कहा , ” आप को इन तीनो खिलौनों में अंतर ढूँढने हैं।” सभी शिष्य ध्यानपूर्वक खिलौनों को देखने लगे , तीनो लकड़ी से बने बिलकुल एक समान दिखने वाले गुड्डे थे . सभी चकित थे की भला इनमे क्या अंतर हो सकता है ? तभी किसी ने कहा , ” अरे , ये देखो इस गुड्डे के में एक छेद है .” यह संकेत काफी था ,जल्द ही शिष्यों ने पता लगा लिया और गुरु जी से बोले , ” गुरु जी इन गुड्डों में बस इतना ही अंतर है कि - एक के दोनों कान में छेद है दूसरे के एक कान और एक मुंह में छेद है , और तीसरे के सिर्फ एक कान में छेद है “ गुरु जी बोले , ” बिलकुल सही , और उन्होंने धातु का एक पतला तार देते हुए उसे कान के छेद में डालने के लिए कहा .” शिष्यों ने वैसा ही किया . तार पहले गुड्डे के एक कान से होता हुआ दूसरे कान से निकल गया , दूसरे गुड्डे के कान से होते हुए मुंह से निकल गया और तीसरे के कान में घुसा पर कहीं से निकल नहीं पाया . तब गुरु जी ने शिष्यों से गुड्डे अपने हाथ में लेते हुए कहा , ” प्रिय शिष्यों , इन तीन गुड्डों की तरह ही आपके जीवन में तीन तरह के व्यक्ति आयेंगे . पहला गुड्डा ऐसे व्यक्तियों को दर्शाता है जो आपकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देंगे ,आप ऐसे लोगों से कभी अपनी समस्या साझा ना करें . दूसरा गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और उसे दूसरों के सामने जा कर बोलते हैं , इनसे बचें , और कभी अपनी महत्त्वपूर्ण बातें इन्हें ना बताएँ। और तीसरा गुड्डा ऐसे लोगों का प्रतीक है जिनपर आप भरोसा कर सकते हैं , और उनसे किसी भी तरह का विचार – विमर्श कर सकते हैं , सलाह ले सकते हैं , यही वो लोग हैं जो आपकी ताकत है और इन्हें आपको कभी नहीं खोना चाहिए . “ —————————————————–

इच्छा शक्ति


मैं भी लोगो की तरह अपने विचार व्यक्त करना चाहता हू.मैंने लोगो के बहुत सारे लोगो के विचार पढ़े हैं ,कुछ व्यक्त करने से पहले उस विषय का टोपिक पता होना चाहिए . मेरा टोपिक है इंसान की इच्छाएं ज़रुर पूरी होती हैं. थोडा टाइम जरुर लगता है.ये भी सच है की हमें हर चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है.कहते हैं की ऊपर वाला जो करता है सब कुछ नाप लोख कर करता है. इसके पीछे हमारी योग्यता छुपी हुई होती है.अर्थात हमें उस लायक बनना पड़ता है.कहते हैं भिखारी है वह मर्सिदिज में घूमने का सपना देखता है . तो क्या उसकी इच्छा पूरी होगी नहीं. क्योंकि वो सके योग्य नहीं है, उसके लिए उसे उस प्रकार का कठिन श्रम करना पड़ेगा.जिस प्रकार की वो इच्छा रखता है. क्योकि इच्छाएं एक दूसरे से जुडी हुई होटी हैं. मैंने एक किताब the power of positive thinking में पढ़ा था . हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं . जैसी सोच वैसा आदमी. हम जो सोचते हैं उसी तरह के मानसिक तरंगे हमारे चारो तरफ वातावरण में फ़ैल जाते हैं.और उसी तरह की ऊर्जा का निर्माण हो जाता है.और यदि मनुष्य अपनी द्रिंह इच्छा शक्ति से यदि अपने अपने विचार पर कायम रहता है तो उसकी सोच उसकी कार्य में बदल जाना सुरु हो जाते . और यह कार्य जब परवान चढ़ता है तो इंसान अपने टारगेट हो प्राप्त करता चला जाता है.

Sunday, September 5, 2010

Hapiness: My first Poem when I fallen in Love First time.......

Hapiness: My first Poem when I fallen in Love First time.......: "Mera ehasas hai itna meetha Bhula nahin paugae Main hn ek khusbu ki tarah, Hava me ghul ke tumhare sanso me bas jaunga Kaise rok paouge apn..."

Thursday, August 19, 2010

My first Poem when I fallen in Love First time........

Mera ehasas hai itna meetha
Bhula nahin paugae
Main hn ek khusbu ki tarah,
Hava me ghul ke tumhare sanso me bas jaunga
Kaise rok paouge apne sanso ko,
Har sans tumhari mera ehasas karayegi,
Pyar main tumhe hadd se jayada karta hun ye yad dilayegi,
Kya tumhe andaza hai maeri tanhaiyon ka
Kitna tadapate hain hain hum tumhae pane ke liye,
Badi hasarat se hum tumhe yaad kar rahe hain ,
Kab tum aao aur hum tumhe apne agos me le le
Aur bas pyar hi pyar aur pyar karte rahen,
Hum to bas ektarfa pyar me hi pagal hain
Par kya unhe iss bat ka ehsas hai
Kahate hain ki sachhe pyar ka asar zaroor hota hai,
Par kab pighlega unka dil hame to usi pal ka intzar hai,
Kahin aisa na ho ki hamare armaan keval arman hi rah jaye
Dar hai iss baat ka kahin hamara pyar bhara dil toot na jaye,
Hum to upar vale se yahi dua karte hain bahle hi vo hame na mile,
Par jo koi bhi sachha pyar kare use uska pyar zarroor mile..